http://www.yuvasughosh.com/2015/03/20/हाउस-वाईफ-लघुकथा/
हाउस वाईफ ( लघुकथा )
टाउन हॉल खचाखच भरा था। तालियों की गड़गड़ाहट से पता चला कि मिस. रस्तोगी हाल में आ गयी है। आज उनकी कहानियों की दसवी बुक का विमोचन शहर के जाने- माने साहित्यकार के हाथो होना है।.. आप तो एक हाउस वाईफ थी ..फिर इतनी बड़ी उपलब्धि कैसे हासिल की ? पत्रकारो ने मिस रस्तोगी से सवाल किया । देखिये " मेरी इस उपलब्धि और कामयाबी का सारा श्रेय मेरे पति को जाता है, जिन्होंने मुझे घर में रहकर ही कुछ करने की पुर जोर सलाह दी। वृद्ध सास- ससुर जी की सेवा टहल के कारण रस्तोगी जी को बाहर जाना बिलकुल नही जँचा। कहीं न कहीं mr. रस्तोगी भी जिम्मेवार थे।
शान्ति पुरोहित
हाउस वाईफ ( लघुकथा )
टाउन हॉल खचाखच भरा था। तालियों की गड़गड़ाहट से पता चला कि मिस. रस्तोगी हाल में आ गयी है। आज उनकी कहानियों की दसवी बुक का विमोचन शहर के जाने- माने साहित्यकार के हाथो होना है।.. आप तो एक हाउस वाईफ थी ..फिर इतनी बड़ी उपलब्धि कैसे हासिल की ? पत्रकारो ने मिस रस्तोगी से सवाल किया । देखिये " मेरी इस उपलब्धि और कामयाबी का सारा श्रेय मेरे पति को जाता है, जिन्होंने मुझे घर में रहकर ही कुछ करने की पुर जोर सलाह दी। वृद्ध सास- ससुर जी की सेवा टहल के कारण रस्तोगी जी को बाहर जाना बिलकुल नही जँचा। कहीं न कहीं mr. रस्तोगी भी जिम्मेवार थे।
शान्ति पुरोहित
इतनी लघु कथा और इतना विस्तार
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