दर्द
बाप दारू पीकर टुन्न हो जाता है, माई लोगो के घरो में चौका बर्तन करके सुबह शाम पेट की अग्नि शांत करने के जुगाड़ में रहती है।पढ़ने की तीव्र इच्छा ना जाने मुझमे क्यूँ पैदा की ऊपर वाले ने। जब लोगो के घरो की गंदगी ही साफ करनी मेरे नसीब में लिखा। रामू के दिल में पनप रहे दर्द मकान मालिक की नजरो से ना छुप सका था| मकान मालिक की पत्नी से ये सहन नही हुआ| बोली ''तुम पढने स्कूल जाओगे तो खाओगे क्या ?, मकान मालिक अब जरुरी काम का बहाना बना कर बाहर निकल गया |
शान्ति पुरोहित
बाप दारू पीकर टुन्न हो जाता है, माई लोगो के घरो में चौका बर्तन करके सुबह शाम पेट की अग्नि शांत करने के जुगाड़ में रहती है।पढ़ने की तीव्र इच्छा ना जाने मुझमे क्यूँ पैदा की ऊपर वाले ने। जब लोगो के घरो की गंदगी ही साफ करनी मेरे नसीब में लिखा। रामू के दिल में पनप रहे दर्द मकान मालिक की नजरो से ना छुप सका था| मकान मालिक की पत्नी से ये सहन नही हुआ| बोली ''तुम पढने स्कूल जाओगे तो खाओगे क्या ?, मकान मालिक अब जरुरी काम का बहाना बना कर बाहर निकल गया |
शान्ति पुरोहित
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