ज्योति-कलश
Tuesday, 10 March 2015
मुक्तक
अमोल रिश्ता मित्र का जग में
निस्वार्थ भाव मित्र का जग में
फरिस्ता बन जीवन में आता
ऊँचा स्थान मित्र का जग में
शान्ति पुरोहित
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