Tuesday, 10 March 2015

महिला दिवस पर दो शब्द

महिला दिवस पर दो शब्द - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मात्र एक औपचारिकता भर रह गया है। आज भी औरतो को आजादी से जीने की इजाज़त नही है। जिस दिन वो दुनिया में आती है उसी दिन से उसका समस्याओ से सामना होने लगता है। घर के लोगो को लड़की के लिए कुछ भी उसकी माँ द्वारा करना ठीक नही लगता।लड़के और लड़की के पालन पोषण से ही लिंग भेद उजागर होने लगता है। इसके साथ ही समाज के कुछ पुरुषो की उच्छखलता के कारण आज भी लड़कियो को योग्यता होते हुए भी शहर से बाहर पढ़ने नही भेज सकते। और अगर हिम्मत करके भेज भी दे तो माता-पिता की जान मुठ्ठी में होती है।महिलाओ की रक्षा के लिए सरकार और समाज को मिलकर कारगर कदम उठाने चाहिए तभी सही अर्थो में महिला दिवस मनाने का औचित्य है वरना औपचारिकता भर ही मानी जाएगी।
शान्ति पुरोहित

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