प्यार का रंग
अपने दोनों भाईयो की प्यारी बहना थी निशा। हर होली पर भाईयो के टीका लगा कर ही होली खेलने की शुरुआत करती थी। बरसो से यही चलता आ रहा था। पर इस बार ऐसा कुछ नही था। निशा की शादी पिछले साल हो गयी थी। शादी के कुछ माह बाद ही उसके पति की मौत हो गयी। तब से वो कमरे से बाहर ही नही निकली। पर आज होली के दिन दोनों भाई ने हिम्मत की और बहन को वापस घर लाये और टीका लगवाने की जिद करने लगे। आखिर भाईयो की आँख में आँसू देख कर वो अपने आप को ज्यादा वक़्त तक नही रोक सकी। भाईयो ने एक बार फिर से बहन के जीवन में प्यार का रंग लगाया।
शान्ति पुरोहित
अपने दोनों भाईयो की प्यारी बहना थी निशा। हर होली पर भाईयो के टीका लगा कर ही होली खेलने की शुरुआत करती थी। बरसो से यही चलता आ रहा था। पर इस बार ऐसा कुछ नही था। निशा की शादी पिछले साल हो गयी थी। शादी के कुछ माह बाद ही उसके पति की मौत हो गयी। तब से वो कमरे से बाहर ही नही निकली। पर आज होली के दिन दोनों भाई ने हिम्मत की और बहन को वापस घर लाये और टीका लगवाने की जिद करने लगे। आखिर भाईयो की आँख में आँसू देख कर वो अपने आप को ज्यादा वक़्त तक नही रोक सकी। भाईयो ने एक बार फिर से बहन के जीवन में प्यार का रंग लगाया।
शान्ति पुरोहित
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