Friday, 13 March 2015

विदाई

विदाई 
आज नेहा की विदाई पर घर वाले ही नही, सभी रिश्तेदार और कॉलोनी वाले खूब रोये...
तेरह साल की छोटी उम्र में नेहा की माँ नेहा और दो छोटे बच्चों को रोता -बिलखता छोड़ कर बहुत दूर चली गयी जहाँ से कभी कोई वापस नही आता।
पिता बैंक में मैनेजर होने के कारण अत्यधिक व्यस्त रहते। नेहा ने ठान लिया कि वो तब तक अपना घर नही बसायेगी , जब तक घर भाभी ना आजाये..और इसने वही किया भी। इस चक्कर में नेहा की उम्र ढलती जा रही थी।भाभी आगयी छोटा भाई पढ़लिख कर इंजीनियर बन गया। भाभी ने अपने हाथो से अपनी ननद को सजाया और ख़ुशी के साथ विदा किया। नेहा की आँखों में गम और ख़ुशी दोनों प्रकार के आँसू बह रहे थे। तभी पिता ने नेहा को अंक में भर लिया। और कहा तुम जैसी बेटी जिसको हो उस पिता का जीवन सवंर जाता है।
शान्ति पुरोहित

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