Friday, 13 March 2015

"दशा "

"दशा "
जब भी जयपुर से बीकानेर जाना होता था ट्रेन में किन्नर यात्रियों से पैसा माँगने आते थे। ऐसे ही एक बार किन्नर हमारे कोच में प्रविष्ठ हुए। और पैसा माँगने लगे। हमने दस रुपये दे दिए। पास के यात्री ने पैसा देने से इंकार किया तो किन्नर गुस्सा हो गए । दोनों आपस में झगड़ने लगे। तभी एक वृद्ध किन्नर ने ट्रेन में प्रवेश किया और बोला ' साब आप लोगो के आगे हाथ मजबूरी में फैलाना पड़ता है। सरकार ने अभी तक हम किन्नरो के लिए कोई विशेष योजना नही बनाई है हमारी यही नियति है कि हम आप लोगो की दया पर जीवन यापन करे। आप मे से कोई देता है कोई गाली देता है। हमारी यही दशा बनी रहेगी अगर सरकार की आँख नही खुली तो। 
शान्ति पुरोहित

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