Friday, 11 December 2015

वही घटना

करीब दो घण्टे से मूसलाधार बारिश बरस रही है, और घर में बहू के तानो की बरसात बराबर चालू है।
रामनरेश जी को आज बहू के ताने विष बुझे तीर के समान कड़वे लग रहे है।
जब सहन शक्ति चुक गयी सुनने की तो पत्नी सुरेखा का हाथ पकड़ कर तेज बारिश में ही वृद्ध आश्रम के लिए निकल गए।
थोड़ी ही देर बाद निर्मल जब घर आता है तो बताता है कि उसके सास -ससुर ,यानी बहू के माता -पिता उसे इतनी बरसात में पास ही के पार्क में बैठे मिले जो भीगने के कारण थर -थर काँप रहे थे| उसकी पत्नी का मायका उसी शहर में जो था |
"बाबूजी -माँ, देखो आपके लिए गरमागरम गाजर का हलुवा लाया हूँ आओ आप और मैं साथ खाएंगे।,निर्मल के आवाज देने पर भी उसके माँ -बाबूजी नही आये तो पत्नी से अपने माँ-बाबूजी के बारे में पूछा |
अपने माँ -पापा को इस हालत में देखकर निर्मल की पत्नी मन ही मन में जान गयी कि उसके माँ - बाबूजी के साथ जो इस वक्त थर-थर काँप रहे थे। भाभी ने शायद उनके साथ भी ..... वही घटना"
शान्ति पुरोहित
 

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