Friday, 22 August 2014

गीतिका

जीवन है एक सुंदर सपना
लगता यहाँ हर कोई अपना 
कभी हँसाती कभी रुलाती 
कभी दिखाती प्यारा सपना 
जैसा भी प्रभु का दिया है
भोग रहे है मान कर अपना 
नही शिकायत इष्ट देव से 
करते सदा उनकी वन्दना 
आराध्य ही पार है लगाते 
आराधना ही ध्येय अपना 
शान्ति पुरोहित 

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