ज्योति-कलश
Friday, 22 August 2014
मुक्तक
मुक्तक
गले लगाती जिंदगी दर्द देते अपने
टूट जाते जब देखे सोचे कुछ सपने
होता है मुश्किल जीना दर्द के साथ
ख्वाब शांती तोडे मिलकर सब अपने
**********शान्ति पुरोहित**************
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