Monday, 25 August 2014

सौरभ के संग खिलते सुमन 
      बौराए मधुप करे गुन-गुन 
गुलशन में आयी बहार सुगंध 
       कुहू कोकिल गाये मिठ्ठी धुन 
ह्रदय कुञ्ज रंग राग उमंग 
       लाल कनेर मस्त गुलमोहर 
चिताकर्षक वन खग विहग 
        बौराए मधुप करे गुन- गुन 

10 comments:

  1. अनुज अग्रवाल बहुत शुक्रिया सराहना के लिए

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    1. मुकेश कुमार सिन्हा जी सराहना के लिए आपका शुक्रिया

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  3. शब्दो का सुंदर मिश्रण....,

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    1. सीमा शुक्रिया आपका सराहना के लिए

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  4. बहुत सुन्दर रचना शांति जी

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    1. उपासना शुक्रिया

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  5. रश्मि प्रभा जी आपकी उपस्तिथि ने नव उर्जा का संचार किया

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