मुक्तक समारोह ..... विषय धुँआ
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अहम पर चोट होती चंडी बन स्वभिमान बचाती
जीवन हो जाये धुँआ आत्मसात कर लेती
आत्म वेदना, दर्द की ज्वाला है नारी जीवन
सहती अनेको दर्द सदा कभी उफ्फ तक ना करती
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अहम पर चोट होती चंडी बन स्वभिमान बचाती
जीवन हो जाये धुँआ आत्मसात कर लेती
आत्म वेदना, दर्द की ज्वाला है नारी जीवन
सहती अनेको दर्द सदा कभी उफ्फ तक ना करती
शान्ति पुरोहित
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