नारी जीवन
‘’यत्र नार्यस्तु पूज्यते,ते तत्र देवता ‘’ इससे समझा जा सकता है कि
वैदिक काल में नारी को सम्मान की द्रष्टि से देखा जाता था| उसे सम्पूर्ण अधिकार
प्राप्त था| जैसे --वेदाध्ययन,शास्त्रार्थ करना, पति के साथ युद्ध भूमि में लड़ने जाना आदि आदि|
कुछ विदुषिया जैसे-- मैत्रेयी,गार्गी आदि उदाहरण है जिन्होंने स्वयं अपनी प्रबुधता और आत्मबल से अपनी अलग पहचान बनायी, समाज की नारियो को नई दिशा दी| मध्य काल में आते आते नारी की दशा में आमूल परिवर्तन हुआ| और आज तो नारी की जो हालत है वो सर्वविदित है | पांच वर्ष की बच्ची हो या 70 वर्ष की औरत कोई भी सुरक्षित नहीं है | हर रोज देश के हर भाग में नारी के साथ अत्याचार होते है | कानून भी कोई ऐसा नहीं बना कि औरत के साथ अत्याचार करने वाले दरिन्दे को सख्त से सख्त सजा मिल सके | बीसवी सदी में औरतो की ये हालत है जैसे वो जंगल राज में रहती है | लडकियों को पढने के लिए कहीं बाहर भेजते हुए माता- पिता की रूह काँप जाती है | अपनी बेटी के साथ कुछ अनहोनी ना हो इसलिए अधिंकांश माता- पिता तो टेलेंट होते हुए भी अपनी बेटियों को पढने बाहर नहीं भेजते है | सरकार को प्रभावी कानून बनाना चाहिए जिससे देश में औरत भी खुली हवा में संस ले सके |
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