दोहा मुक्तक
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हुई बावरी प्यार में,पाया मन का मीत
हार गयी दिल प्रीत में, फिर भी पाई जीत
अंतस पीड़ा का मर्म, जान सका न कोई
प्रेम बावरी मीरा,कृष्ण लिया है जीत
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हुई बावरी प्यार में,पाया मन का मीत
हार गयी दिल प्रीत में, फिर भी पाई जीत
अंतस पीड़ा का मर्म, जान सका न कोई
प्रेम बावरी मीरा,कृष्ण लिया है जीत
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मन की भावुक अनुभूति
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है --
भीतर ही भीतर -------
ज्योति खरे सर आभार
ReplyDeleteaap kitna sunder likhti hai,,,,,
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