दोहा शिल्प परिचय -दो पद -प्रत्येक पद में दो चरण एक सम ,एक विषम ,विषम चरण में 13 मात्रा तथा सम चरण में 11 मात्रा - चरणानंत गुरु लघु से
नई पौध नया विचार , करे राष्ट्र निर्माण
पवित्र भूमि भारती , वारो इस पर प्राण
पवित्र भूमि भारती , वारो इस पर प्राण
2
ये दोहा विरहिणी को इंगित करते हुए
वन की शोभा मोर है,पि पि मस्त सुनाय
साजन बसे प्रदेश में , जिया होश गमाय ----
साजन बसे प्रदेश में , जिया होश गमाय ----
3
ये दोहा अपनों के बीच के वैर को दर्शाता हुआ
अपनों से अपने लड़े ,जहर भरे है बैन
दिल क्रन्दन करता सदा , नैन न पावे चैन
दिल क्रन्दन करता सदा , नैन न पावे चैन
4
ये दोहा मनुष्य के अंतर्मन की दशा को दर्शा रहा है
होठो पर मुस्कान है, भीतर बैठा रोष
मन दुर्बल होता सदा , गम किया है पोष
मन दुर्बल होता सदा , गम किया है पोष
5
बेटे के इंतजार में पिता की मन की अवस्था का चित्रण
सूनी आँखों से तके .बेटा आवे राह
बेटा अपने काम में ' बापू छूटा जाय
बेटा अपने काम में ' बापू छूटा जाय
6
पिता का घर और सखी -सहेली से विछ्ड़ने का चित्रण
सखी सहेली छूटती ,छूटा घर का द्वार
नैनो में अरमान ले , आयी पि के द्वार
नैनो में अरमान ले , आयी पि के द्वार
शान्ति पुरोहित
No comments:
Post a Comment