सख्त कानून की आवश्यकता
वर्तमान परिपेक्ष्य में हमारे देश में महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के साथ एक और समस्या मुहं बायें खड़ी है। और वो है महिलाओ के साथ होने वाले बलात्कार । वेदकाल में नारी को सम्मान की दृष्टी से देखा जाता था । वहीं मध्यकाल में नारी की स्थति में गिरावट आते- आते वो मात्र भोग्या बन पुरुषो के मन बहलाव का साधन बन कर रह गयी । वर्तमान में नारी की स्थति असमंजस के दौर से गुजर रही है । पुरुषो से बराबरी करने के चक्कर में नारी को शिक्षित होकर घर से बाहर निकलना पड़ा। जिसके दो मुख्य दुष्परिणाम आये । एक- नारी को घर और काम दोहरी जिम्मेदारी से दो- दो हाथ करने पड़े । और दूसरा वो पुरुष कार्मिको की कुदृष्टि का शिकार बनना पड़ा। वर्तमान में महिला सुरक्षा का कोई सख्त कानून नहीं है ।आज देश के कोने – कोने में महिलाओ का अपहरण, बलात्कार और फिर सुबूत मिटाने के लिए हत्या कर दी जाती है ।माता – पिता अपनी बेटियों को शहर से दूर दुसरे शहर पढने जाने दे नहीं सकते है । जिससे काबिलियत होने पर भी लडकियाँ अपनी इच्छित शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाती है । वर्तमान में दरिंदगी इस कद्र व्याप्त हो गयी है कि चार वर्ष की मासूम बच्ची को भी दरिन्दे बेरहमी से नोच देते है ।इसी कारण आज किसी भी घर में बेटी होते ही उसकी सुरक्षा की फ़िक्र माता – पिता को घेर लेती है । देश में हुए दामिनी रेप काण्ड के बाद जिस तरह बलात्कार की संख्या में वृद्धि हुई है बहुत ही चिंताजनक् है ।सर्वविदित ही है कि उत्तरप्रदेश के बंदायू में दो मासूम नाबालिग लडकियों को बलात्कार के बाद पेड़ से लटका दिया था । जो दरिंदगी की हद ही है । आवश्यकता है देश में महिला की सुरक्षा के लिए सख्त – से सख्त कानून बने जिससे दोषी को फांसी से कम सजा ना मिले ।
शान्ति पुरोहित बीकानेर राजस्थान पोस्ट नोखा बीकानेर
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