Tuesday 2 July 2013

सीख

सीख                                                सुश्री शांति पुरोहित की कहानी
         आज मीनू की शादी को सात माह होने को आये है| रोहित के साथ वो इतनी खुश थी कि उसे अपने मायके वालो की याद ही नहीं आई | माँ के बार-बार बुलाने पर भी वो नहीं गयी | लेकिन आज उसने मायके जाने का तय किया,उसने कम से कम दो सप्ताह तक अपने मायके रुकने का सोचा है |
                             पर उसे रोहित को अकेला छोड़ कर जाना भी अच्छा नहीं लग रहा था पर जाना तो था, रोहित उसे ट्रेन मे बैठा कर आ गया था| अब इधर ट्रेन की रफ़्तार तेज हुई और मीनू के दिमाग मे विचारो की उमड़ -घुमड तेज हो गयी,सोच रही है,जैसे ही रोहित ऑफिस से घर आता था वो दोनों अपने कमरे मे
  चले जाते थे और ढेरो प्यार भरी बाते करते थे,ये उनके रोज का काम था |
                            एक बार मीनू की सासुजी ने कहा की ''हम रोहित के साथ खाना खाने के लिये उसका इंतजार करते रहते है और जब वो आ भी जाता है तो भी खाने के लिये एक घंटे बाद कमरे से बाहर आता है | हमें तो भूख लग जाती है तुम कल से हमें पहले खिला दिया करो | फिर तुम लोग आराम से जब चाहो खा लिया करो|, नीलू ने  भी सासुजी को निसंकोच कहा कि ''जिसे जल्दी खाना हो वो अपने हाथो से लेकर खा ले | अब ऐसा तो होगा ही ना,जब रोहित थका हुआ घर आता है तो थोड़ी देर मेरे साथ बैठ कर बाते करता है तो उसकी थकान दूर हो जाती है,तो अब आपसे ये भी सहन नहीं होता है|,
                           मीनू की सासु' करुणा ,ने मीनू को कुछ भी नहीं कहा,पर उसका मन मीनू की बातो से बहुत आहत हुआ | रात को खाना -खाने के वक़्त माँ को वहाँ नहीं देख कर रोहित माँ को बुलाने उनके कमरे मे गया |''माँ ,चलो खाना खाते है |, नहीं,तुम लोग खालो,मुझे नहीं खाना और फिर उनके और मीनू के बीच जो बात हुई वो अपने बेटे से कहा | और उसकी माँ रोने लगी थी | रोहित ने मीनू को डांटा,तो मीनू भी रोने लगी |
                        अब ये तो स्वभाविक ही है कि आदमी औरत को रोता हुआ देख कर भावुक हो जाता है | रोहित भी हुआ,उसने रोती हुई अपनी पत्नी को चुप कराया |और आगे से कभी ना डांटने का वादा किया और साथ ही अपनी माँ को मीनू के सामने ही कहा कि आप अपने- आप खाना लेकर खा लिया करो मीनू को मत रुलाया करो | उस दिन के बाद जैसे उसके और रोहित के बीच का प्यार और भी मजबूत हो गया था | उसकी सासु करुणा ने भी उसे कुछ भी कहना छोड़ दिया था |
                         आज जब वो मायके जा रही थी तो सोच रही है कि उसकी और उसके भाई की शादी साथ ही हुई थी तो उन दोनों के बीच मे ऐसा ही होगा,जैसा उसके और रोहित के बीच मे है | नही ऐसा नहीं हो सकता भाभी तो छोटे से गाँव की लड़की है,उसे कहाँ ये सब आता होगा | मेरे माँ-पापा को भी ठीक से संभालती होगी की नहीं पर जो भी हो अब ये तो वहां जा कर ही पता चलेगा |
                          ये सब सोचते हुए उसे वक़्त का पता ही नहीं चला उसका स्टेशन आगया और वो अपने घर पहुँच गयी |घर मे पैर रखते ही उसे ऐसा लगा जैसे किसी को भी उसके आने का इंतजार नहीं था | उसने देखा उसकी माँ और भाभी झूले पर बैठी बातो मे मगन थी |उन्हें तो पता ही नहीं चला कि मै अन्दर आ गयी हूँ | जब नौकर ने जोर से कहा कि मीनू दीदी आगयी ........तब उनको पता चला कि मै आ गयी फिर माँ और भाभी ने मुझे गले से लगाया | उनका ऐसा वयव्हार देख कर मीनू को थोडा बुरा जरुर लगा पर फिर सोचा ठीक है भूल जाती हूँ,फिर भी उसने सोचा कि एसी कौनसी बात हो सकती है कि ये दोनों मुझे ही भूल गयी है |
                         देखने मे भाभी तो पूरी देहातिन ही लग रही थी,सर का पल्लू तो जैसे नीचे सरकने का नाम ही नहीं ले रहा था| पर मीनू तो ससुराल मे सूट पहन कर घुमती है,उस पर कभी -कभी दुपट्टा भी नहीं ओढती थी |एक बार सासुजी ने कहा भी था कि ससुरजी की तो थोड़ी मर्यादा रखो,मीनू ने तुरंत कहा ''मै पुरे दिन दुपट्टा ओढ़ कर नहीं घूम सकती मुझे अच्छा नहीं लगता है
                                                                                                                                                                                            
भाभी ने मीनू को पानी पिलाया फिर थोड़ी देर तीनो ने बाते की | फिर भाभी ने खाना बनाया | वो तीनो खाना-खाने बैठे  भाभी ने मेरे आने के कारण खाने मे बहुत सारे मीठे और नमकीन पकवान बनाये | खाना बहुत अच्छा था माँ ने खाने की तारीफ की थी | तभी उसकी भाभी ने कहा ''मै तो आज भी सासुजी जी नया -नया खाना बनाना सीखती हूँ | मीनू हैरान रह गयी कि कोई बहु सास से कैसे कह सकती है कि उसे अच्छा   खाना बनाना नहीं आता है,उसे याद आया एक दिन वो सब्जी मे नमक डालना ही भूल गयी ,जब सासुजी ने नमक के लिये कहा,तो उसने कह दिया कि कल से खाना बनाने वाली को बुला लेना| एक तो बनाऊ ऊपर से गलतिया निकालो ऐसे कैसे बर्दाश्त करे वो |
                               खैर, दोपहर को माँ ने भाभी को कहा ''सुबह से काम कर रही हो थक गयी होगी जाओ अब थोडा आराम करलो|, भाभी ने कहा ''नहीं,ननद के साथ बैठ कर थोड़ी देर गप्पे लगाउंगी उन्हें यूँ अकेला छोड़ कर कैसे सो जाऊ |,मीनू को फिर अचरज हुआ उसे याद आया कि उसकी ननद आई थी तब वो उनसे सिर्फ तीन बार ही मिली थी | आने के टाइम,खाने के टाइम और जाने के टाइम | ननद के साथ बैठ कर बाते करने के बारे मे तो उसने कभी सोचा ही नहीं था | अब तो मीनू को भाभी की बातो से अपने मे गलतिया दिखने लगी थी |
                             एक बार मीनू और भाभी बाहर घुमने गये तो भाभी ने वहां से माँ को फोन करके पूछा कि आपने और बाबूजी ने खाना खा लिया क्या ? मीनू ने मन ही मन मे कहा कि ये भी कोई पूछने की बात है खाना खा ही लिया होगा | उसने तो यहाँ आकर अपनी सासुजी को एक बार भी फोन नहीं किया था,हाँ एक बार रोहित से बात करते वक़्त कहा था ''जरा माँ को फोन देना , आप ठीक हो ना माँ ,खाना बनाने वाली बरोबर आती है ना ,उसे ये पूछना अजीब लग रहा था पर भाभी को देख कर पूछा,पर ये क्या ! सासुजी की रोने की आवाज आई फिर उन्होंने कहा की यहाँ जैसा भी है ठीक है पर तुमने फोन करके पूछा ये अच्छा लगा |उस वक्त उनकी बात सुनकर मीनू की आँखों मे कब आंसू आगये पता ही नहीं चला उसे, सासुजी मे अपनी माँ नजर आने लगी थी |
                       भाभी के साथ घुमने और शौपिंग करने मे समय कैसे बीत गया पता पता ही नहीं चला अब मीनू के वापस ससुराल जाने का समय आ गया है |मीनू की ट्रेन सुबह पांच बजे की थी,भाभी चार बजे ही उठाने आगयी |रास्ते के लिये खाना,नाश्ता बना कर पैक किया और मेरे पैर छुए,तभी मीनू ने कहा ''भाभी मै आप से बहुत कुछ सीख कर जारही हूँ | भाई को मेरा नमस्ते  कहना उठे तब,''तभी भाई आये अरे ! इसे क्यों कह रही हो दीदी मुझे ही कहो ना '' मीनू को बहुत आश्चर्य हुआ कहा''आप तो देरी से उठते हो ना ,'हाँ पर तुम्हारी भाभी ने रात को ही बोल दिया था कि सुबह दीदी को छोड़ने जाना है |
                                                                                       मीनू को याद आया उसकी ननद गयी तब ना वो उठी ना रोहित ससुरजी छोड़ने गये थे | पुरे रास्ते मीनू ये सोचते हुए गयी कि इस देहाती लड़की ने उसे परिवार मे कैसे जिया जाता है सीखा दिया है घर पहुँच कर सास -ससुर के पैर छुए और पहले की गयी गलतियों की माफ़ी मांगी सास -ससुर ने भी उसे बेटी की  तरह ही माफ़ कर दिया और मीनू और उसके सास -ससुर ख़ुशी से रो पड़े |                                                        
           शांति पुरोहित
                                                                                              
   


                                                                                     
                   

2 comments:

  1. आदरणीया शांति जी, आपकी इस कहानी को पढ़कर तो आखें नम हो गई, आपने बहुत सुन्दर ढ़ंग से अधिकांश परिवारों की वास्तविकता को दर्शाया है इसके लिए आपको हृदय से बधाई ।

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  2. सर धन्यवाद उत्साह बढ़ाने के लिए

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