Thursday 2 May 2013

दीपक तले अँधेरा













समाज कल्याण विभाग के प्रमुख रमाशंकर अपने माता -पिता की एक मात्र संतान थे | उनके माता -पिता ने उसका विवाह बड़े ही धूम -धाम से पास ही के गाँव के नगर सेठ की बेटी सीता से करा दिया था | रामशंकर के माता -पिता सुन्दर सुशील बहु को पाकर बहुत खुश थे | सीता सुन्दर तो थी ही साथ ही पढ़ी लिखी और समझदार भी थी | रमाशंकर भी इतनी गुणवान पत्नी पाकर बहुत खुश था |
शादी के एक साल बाद घर मे बच्चे की किलकारी गूंजने की खबर से सब खुश थे अपने वंश को आगे बढ़ता जान सब खुश थे पर सीता को उन सब की ये बात पसंद नहीं आई लड़की भी हो सकती है पर कुछ कह नहीं सकी और सीता ने बेटी को जन्म दिया | घर के सारे लोग नाराज हुए पर इसमें उसका क्या दोष था | बातो -बातो मे सीता ने अपने पति को समझाया कि पति -पत्नी मे से किसी एक मे कुछ कमी रहती है तो बेटी होती है वैसे सीता को पता था पर पति को स्पस्ट बता नहीं सकती घुमा फिरा के बताया तो भी रमाशंकर भड़क गये और गुस्से से सीता पर हाथ भी उठाया |
अभी बेटी एक साल की भी नहीं हुई सीता को दुसरे बच्चे के किये मजबूर किया पर दूसरी भी बेटी हुई| सीता पर वापस गुस्सा किया और कहा की तुम हमे बेटा कब पैदा कर के दोगी | जैसे बेटे की चाह ने रामशंकर को अँधा कर दिया था | फिर तीसरे साल मे सीता को बच्चे के लिए मजबूर किया | इस बार रामशंकर को किसी ने लिंग -परिक्षण कराने की सलाह दी जबरदस्ती जाँच कराने सीता को अपनी माँ के साथ भेजा | पता चला सीता के गर्भ मे दो बेटिया पल रही है जैसे ही रमाशंकर की माँ ने बेटे को फोन से जानकारी दी की जुड़वाँ बेटिया आने वाली है उस वक़्त रमाशंकर एक सभा मे भाषण देने गये थे रमाशंकर ने कहा की दोनों बेटियों को निकलवा दो अब और बेटी नहीं चाहिए और वो भाषण देने लगा | जब सीता और उसकी सास डॉ. के पास गर्भ गिराने की बात करने को गयी तो डॉ. ने कल आने को कहा फिर जब दोनों वापस घर के लिए निकली तो सीता ने कुछ बहाना बना कर सास को घर भेजा और खुद सभा स्थल पहुँच गयी और अपने पति के असल विचारो की पोल खोल दी ये सब सीता से जानकर विभाग ने रमाशंकर को उसी वक़्त पद से हटाया और पुरे विभाग वालो ने एक स्वर मे रमाशंकर आलोचना की थी | सीता ने तलाक लेकर अकेले रहने का फैसला किया |
सीता समझदार तो थी ही उसने दोनों बेटियों को जन्म दिया और अस्पताल के डॉ. से लिखवा लिया कि बेटी होने का कारण खुद रमाशंकर था और सब को दिखाया समाज कल्याण विभाग ने सीता की बहादुरी के लिए वो पद दे दिया | सीता की समझदारी से उसकी दोनों बेटिया बच गयी और दोनों डॉ. बन गयी अब सीता अपनी चारो बेटियों के साथ रहती है | रमाशंकर अब अपनी करनी पर पछता रहा है उसकी चारो बेटिया ऊँचे पदों पर काम कर रही है बेटे की चाह ने उसका सब 
कुछ बर्बाद कर दिया था |
ये कहानी भी पढना और प्रतिभाव देना
http://www.saadarblogaste.in/2013/05/blog-post_12.html

No comments:

Post a Comment