"देश की रक्षा के लिए किये जा रहे युद्ध में आज वीर सैनिक रघुवीर प्रताप सिंह की बहुत जरूरत महसूस की जा रही है, अभी भी रवानगी में कुछ दिन बाकी है!
काश वो पहुँच ही जाये।, सेना के बड़े अधिकारी आपस में विचार विमर्श कर रहे थे।,
"माँ , मेरे अलावा तुम्हे देखने वाला कोई नही है ! कैसे छोड़ जाऊँ अकेला इस हालत में ,ये मुझसे नही होगा।
गम्भीर बीमारी से जूझते हुए अस्पताल के बेड पर पड़ी हुई माँ को रघुवीर प्रताप ने कहा।
अरे ! बेटा इस माँ को देखने वाला तो अस्पताल का डॉ है ,पर भारत माँ की रक्षा के लिए तो तुम वीर जवान ही हो जो अपनी जान की परवाह न करते हुए माँ की रक्षा के लिए तैनात रहते हो।, जाओ बेटा भारत माँ तुम्हारी राह देख रही है। ,
शान्ति पुरोहित